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कंप्यूटर और मानव

कंप्यूटर और मानव ——–जितने अलग अलग ——- उतने ही इस दौर में समान प्रतीत होते है। कहने को तो मानव ने कंप्यूटर को बनाया है , लकिन जितने काम आज कंप्यूटर मानव के कर लेता है ,ऐसा प्रतीत होता है कि थोड़े समय में कंप्यूटर मानव का स्थान ले लेगा और मानव का दिमाग जिस गति से नई नई तकनीकी खोजे कर रहा है , वह कंप्यूटर से कम प्रतीत नहीं होता। दोनों एक दूसरे से विभिन्न ,परन्तु एक दूसरे के पूरक है। क्योकि यदि मानव नहीं होता तो कंप्यूटर का आविष्कार नहीं होता और यदि कंप्यूटर नहीं होता तो मानव की जिंदगी इतनी आसान नहीं बनती। मानव ने यह एक ऐसी तकनीक बना दी है कि पूरी दुनिया मोबाइल फ़ोन , टैब , लैपटॉप के रूप में उंगलियों पर गोल गोल घूमती है। आज मानव ने अपने आप को कंप्यूटर बनी चीज़ो में इतना जकड लिया है कि उसके पास सोचने का समय नहीं है कि इनके बिना हमारी जिंदगी क्या होती ???? एक छोटे से कैलकुलेटर से लेकर होटल में काम करने वाले इंसानो की जगह पर लगे हुए रोबोट इस बात की गवाही देता है की वो दिन दूर नहीं जब मानव से ज्यादा संख्या मशीनो की होगी और आज के इन हालातो को देखते हुए जहा अभी मानव ही मशीन बनता जा रहा है जिसमे भावनाओ का अभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है

