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Maa ka rishta poem

धरती पर भगवान से बड़ा ओहदा
होता है इक माँ का
जिसका प्यार पाने के लिए
दिल ललचा उठा भगवान का
जिसकी छाया में पलने के लिए
कई जन्म लेकर उद्धार किया संसार का |
माँ के चरणों में मिल जाती है ज़न्नत
हमारी सुख शांति के लिए मांगती है लाखो मन्नत
साक्षात नि: स्वार्थ जीवन करती है व्यतीत
सम्पूर्ण जीवन सोचती है केवल अपने बच्चो का
अपना भी रखना होता है कभी कभी ख्याल
यह कभी न आये उसके मन में बात |
सुबह की पहली किरण के साथ उठ जाती है
सारा दिन निकल जाता है हमारा ख्याल रखने में
बदले में कभी न उसने कुछ माँगा है
हर दम खड़ी रहती है साथ सुख में एवम दुःख में
कभी अपना दुःख न ज़ाहिर किया है
माँ का रिश्ता होता ही इतना प्यारा है |
खाने का निवाला हमे खिलाये
लेकिन पेट उसका भर जाए
जब कभी हम बीमार हो जाए
दवा हम खाए लेकिन दर्द से वो करहाए
क्योकि माँ का रिश्ता होता ही इतना प्यारा है
जब भी कभी उदासी छाए
तभी तेरी गोद की याद आये
तेरी गोद में जब भी रखूं अपना सिर
सारे गम तभी भाग जाए
माँ का रिश्ता होता ही इतना प्यारा है |
माँ को कभी न रूठने देना
जग रूठ जाए तो कुछ न जाए
यदि माँ रूठ जाए तो नरक में भी स्थान न मिल पाए
माँ होती है रब का रूप
यदि यह रूठ जाए तो मानो रब भी रूठ जाए |
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