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Intezar Shayari
रस्ते पे आँखें जमा कर बैठे है
दिल का जिसको इंतज़ार है
वो कभी न कभी कहीं न कहीं से तो आएगा
बस इसी इंतज़ार में बैठे है |
मुद्दतें हो गयी सनम का दीदार किये
कई मन्नते मांगी , कई प्राथनाएं किये
लेकिन अभी तक न तू आया है
कहीं से तो आवाज़ आएगी
जिसका तुझे इंतज़ार था
देख आज वो आया है
बस इसी इंतज़ार में बैठे है |
सारी रात तारें गिन गिन कर बिताती हूँ
तारों को जोड़ कर तेरी तस्वीर बनाती हूँ
उसी तस्वीर का दीदार सारी रात करती हूँ
वो ही तस्वीर शायद कुछ बोल पड़े
बस इसी इंतज़ार में बैठी हूँ |
हर तरफ छाई है ख़ामोशी
इंतज़ार की आरज़ू खोने सी लगी है
बस एक आहट का है इंतज़ार
कभी न कभी तो तू आएगा
बस इसी इंतज़ार में बैठी हूँ |
मेरे दिल की तमन्ना है कि
तू सदा सही सलामत रहे
जहाँ भी रहे तू , सदैव खुश रहे
तेरी उस ख़ुशी में काश में भी कभी शामिल हूँ
बस इसी इंतज़ार में बैठी हूँ |
अब तो लगता है कि
सारी उम्र ऐसे ही गुज़र जाएगी
तेरे दीदार किये बिना सारी उम्र
ऐसे ही गुज़र जाएगी
कब होगी मेरी वो आखिरी सांस
बस इसी इंतज़ार में बैठी हूँ |
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