Women Empowerment आखिर क्या है 21 वी सदी की नारी में ?

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  Women Empowerment  :   21 वी सदी की नारी

क्या नहीं कर सकती अगर सशक्त हो नारियां
रण , रंग , राज्य सुधर्म रक्षा कर चुकी सुकुमारिया

21 वी सदी की नारी
21 वी सदी की नारी

 

                                 21 वी सदी की नारी

 

एक बेटी जिसमे लक्ष्मी का रूप देखा जाता है ,एक बहन जिससे दिल की हर बात किये बिना मानो खाना  ही हजम नहीं होता , एक माँ—- जिसके आँचल तले मानो पूरी जन्नत , पूरी कायनात हे मिल जाती है।  अपनी जिंदगी के भिन्न -भिन्न किरदारों को बखूबी निभाती है नारी—-

लकिन फिर भी यही  कहा जाता है ——-

हाय ! अबला नारी तेरी यही कहानी

आँचल में है दूध आखों में है पानी। 

21 वी सदी की नारी
21 वी सदी की नारी

यह पंक्तिया तो बाबा आदम के ज़माने में लिखी गयी थी ,लकिन आज भी इन पंक्तियों को सुनते ही न जाने क्यों दिल में दर्द सा भर जाता है।  दर्द इसलिए नहीं कि नारी को अबला कहा गया है।  दर्द इसलिए कि नारी को अबला उस देश में कहा गया है —-जहा अपने ही देश को माँ कहा जाता है ,अपनी जमीन को मातृभूमि ,और अपनी भाषा को मात्र भाषा के नाम से नवाज़ा जाता है और वैसे भी वो दिन बीत गए , जब एक नारी अपने तीन फुट लम्बे घूँघट को ओढ़ाए घर की शान बन क्र रह जाती थी ,लकिन आज की वही  नारी  अपने घूँघट को चेहरे से हटा कर घर की चौखट को पार कर के ज़माने के साथ कदम से कदम मिला कर चलती है।

खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।   

याद है वो रानी लक्ष्मी बाई जिस एक अकेली नारी ने पूरे  फिरंगियों  की सत्ता में तहलका मचा कर रख दिया था। किरण बेदी , कल्पना चावला ,सान्या मिर्ज़ा , सान्या नेहवाल ,प्रतिभा पाटिल ये वो नाम है ,जिन्होंने अपने अद्भुत कार्यो से अपने क्षेत्र में क्रांति ला दी है।

कोमल है कमज़ोर नहीं तू ,शक्ति का नाम ही नारी है
जग को जन्म देने वाली मौत भी तुझसे हारी है।   

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नारी ही एक ऐसा शब्द है जिसमे पूरी दुनिया ,पूरा विश्व विद्यमान है।  ऐसा कोण सा क्षेत्र है , जिसमे उसने अपनी प्रबल कर्मठता का परिचय न दिया हो या ना दे रही हो। आज शिक्षा का क्षेत्र ही देख लीजिये —-समाचार पत्रों की सुर्खिया ही यही होती है आज उस राज्य की बेटी ने राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया , आज उस राज्य की बेटी ने अपने माता -पिता के साथ साथ पुरे शहर का नाम रोशन कर दिया। शिक्षा का क्षेत्र छोड़ दीजिये और भी कई क्षेत्र देख लीजिये— चाहे वो प्राध्यापक हो , इंजीनियर हो , खिलाडी हो , अभिनेत्री हो या सरहद पर तैनात सैनिक —-क्या नहीं कर सकती नारी—-सब कुछ कर सकती है।

लकिन आज  इस नयी सदी में भी एक ऐसी खायी है , एक ऐसा पड़ाव है ,जो कहीं  न कहीं नारी को पुरुष के अधीन बना देता है।  माना ! आज लड़की के जन्म पर अफ़सोस नहीं किया जाता तो शायद वो खुशिया भी नहीं मनाई जाती।   फ़र्क़ सिर्फ इतना है कि पहले लड़की को जन्म लेने के बाद मारा जाता था ,लकिन अब उसके जन्म लेने से पहले ही उसका वजूद खत्म कर दिया जाता है। जिसका उदाहरण है हमारे भारत का प्रत्येक वर्ष गिरता हुआ अनुपात।  जिस बेटे के लालच में आकर माता -पिता एक बेटी का वजूद खत्म कर देते है , वही बीटा अपने माता पिता को एक दिन धक्के मार क्र ऐसे घर से बाहर निकल देता है , जैसे घर में रखे किसी कबाड़ को। हमारे देश में बढ़ते दिन ब दिन बढ़ते हुए वृद्धाश्रम इस बात का सबूत देते है , गवाही देते है। मुझे तो ये सोच कर हसी आती है , जिस माँ के बारे में यह कहा जाता है —-

यदि स्वर्ग कहीं है धरती पर ,
तो वो है माँ के उर के भीतर।

कहने को तो हम बहुत बड़ी बड़ी बातें करते है ,नर के पहले नारी को ओहदा देता है।  सीताराम , राधेश्याम ,लक्ष्मीनारायण , नर से पहले नारी का अहोदा क्या केवल वाक्यों तक सीमित है

यत्र नार्यस्तु  पूजयन्ते , रमन्ते तत्र देवता।

कितना दुःख होता है यह सोच कर अपने शब्दों , अपने वाक्यों में इतना सम्मान देने वाले हमारे भारत में क्या वास्तव में नारी को सम्मान की नज़रो से देखा जाता है ?? क्या उसे समाज में वो मुकाम हासिल है ,जिसकी वो असली हक़दार है ??जी नहीं , ज़माने बदल जायेगे , सदिया बदल जाएगी , लकिन नारी के लिए ज़माना नहीं बदलेगा और यदि हम चाहते है कि नारी को वो मुकाम हासिल हो जिसकी वो असली हक़दार है तो हमे ही अपना नजरिया बदलना होगा ,अपनी सोच बदलनी  होगी, क्योकि आज की इस नयी सदी की नारी की आँखों में सपने , मन में विशवास और दिल में कुछ कर गुजरने की तमन्ना  हैऔर  सिर्फ इतना ही कहना चाहूँगी —–

मेने तुझको जब जब देखा
लोहा देखा लोहे जैसे तपते देखा ,
गलती देखा , ढलते देखा
गोली जैसे चलते  देखा ,
जी हां , यही तो है आज की नयी सदी की नारी ,
ऐसी ही होती है नयी सदी की नारी।   

                                          Women Empowerment

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